Thursday 21 March 2019

हैप्पी बर्थडे- लोथार मथायस, रोनाल्ड कुमन, रोनाल्डीनियो, जॉर्डी अल्बा एंड एंटोइन ग्रीज़मन

आज होली है। रंगों का त्यौहार। आज के दिन सब मौज करते हैं। आज पांच बड़े फुटबॉलर्स का बड्डे भी है। पांच में से तीन लेजेंड बन चुके हैं और बाकी दोनों भी रिटायर होते-होते लेजेंड बन जाएंगे।
तो चलिए शुरू करते हैं...

1:- लोथार मथायस- वेस्ट जर्मनी के कैप्टन के रूप में 1990 का वर्ल्ड कप जीत चुके मथायस 1991 में फीफा वर्ल्ड प्लेयर ऑफ द ईयर चुने गए। मथायस यह अवॉर्ड जीतने वाले इकलौते जर्मन फुटबॉलर हैं। मथायस को फुटबॉल इतिहास के बेस्ट मिडफील्डर्स में से एक माना जाता है। मथायस के नाम वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा मैच (25 मैच) खेलने का रिकॉर्ड है। मथायस पांच वर्ल्ड कप खेलने वाले दुनिया के पहले प्लेयर थे। मथायस के बारे में महान डिएगो माराडोना ने अपनी आत्मकथा में लिखा है- ''he is the best rival I've ever had. I guess that's enough to define him"
लोथार मथायस
2:- रोनाल्ड कुमन- डच नेशनल टीम के मौजूदा मैनेजर और पूर्व प्लेयर कुमन को वर्ल्ड फुटबॉल के बेस्ट अटैक माइंडेड सेंट्रल डिफेंडर्स में से एक माना जाता है। अपने दिनों में कुमन अपनी लॉन्ग रेंज पासिंग, पावरफुल शॉट्स और फ्री-किक तथा पेनल्टी पर कमाल करने के लिए फेमस थे। कुमन वर्ल्ड फुटबॉल में सबसे ज्यादा गोल्स करने वाले डिफेंडर हैं। कुमन इकलौते ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने डच फुटबॉल के बिग थ्री- अयैक्स, PSV और फेयेनूर्ड के लिए खेलने के साथ ही उन्हें मैनेज भी किया है। 90 गोल्स के साथ कुमन बार्सिलोना के लिए सबसे ज्यादा गोल्स करने वाले डिफेंडर हैं और बार्सिलोना के लिए फ्री-किक और पेनल्टी पर कुमन से ज्यादा गोल्स सिर्फ लियोनल मेसी ने किए हैं।
रोनाल्ड कुमन
3:- रोनाल्डो डे असिस मोरीरा जिन्हें दुनिया रोनाल्डीनियो के नाम से जानती है, इनके बारे में कितना भी लिखें कम ही होगा। रोनाल्डीनियो की बॉल के साथ कलाकारी और फिर उनकी चिरंजीवी मुस्कान ने अरबों लोगों को अपना दीवाना बना रखा था। रोनाल्डीनियो ने अपने करियर में गोल्स तो बहुत *ज्यादा नहीं किए लेकिन बॉल के साथ उनकी ट्रिक्स, कलाकारी, विपक्षी प्लेयर्स को चकमा देने की क्षमता, ओवरहेड किक्स, नो लुक पास और एक्यूरेट फ्री-किक एबिलिटीज को देखने का अपना ही मजा है। रोनाल्डीनियो, डिएगो माराडोना के बाद सिर्फ दूसरे ऐसे बार्सिलोना प्लेयर हैं जिन्हें रियल मैड्रिड के घर सैंटियागो बर्नबेयु में फैंस से स्टैंडिंग ओवेशन मिला है। रोनाल्डो को आठ साल की उम्र में पहली बार रोनाल्डीनियो Ronald+Inho (Inho= छोटा) निकनेम मिला था क्योंकि अक्सर वह टीम में सबसे छोटे होते थे। रोनाल्डीनियो प्लेयर कमाल के थे लेकिन चोट और पार्टी करने की आदत ने इस लेजेंड का करियर बहुत जल्दी खत्म कर दिया।
रोनाल्डीनियो
4:- जॉर्डी अल्बा- बार्सिलोना के लेफ्ट बैक अल्बा की मेसी के साथ की पार्टनरशिप से लोग अक्सर कन्फ्यूज हो जाते हैं। अल्बा और मेसी को एक दूसरे की पोजिशनिंग की इतनी अच्छी समझ है कि बिना देखे भी इन्हें पता होता है कि इनका पार्टनर कहां है। अल्बा ने अपना करियर एक लेफ्ट विंगर के रूप में बार्सिलोना से ही शुरू किया था लेकिन क्लब ने जल्दी ही उन्हें निकाल दिया क्योंकि उनकी हाइट बेहद कम थी। बाद में कई क्लबों से होते हुए वह वापस बार्सिलोना आए और उसके बाद से ही क्लब के फर्स्ट चॉइस लेफ्ट-बैक बने हुए हैं। डिफेंसिव तौर पर अल्बा उतने बेहतर नहीं हैं लेकिन उनकी पेस और अटैकिंग माइंडसेट उन्हें आधुनिक फुटबॉल के बेहतरीन फुलबैक्स में से एक बनाता है।
जॉर्डी अल्बा
5:- एंटोइन ग्रीज़मन:- पिछले साल वर्ल्ड कप और यूरोपा लीग जीतने वाले ग्रीज़मन दुनिया के बेहतरीन फॉरवर्ड्स में से एक हैं। ग्रीज़मन ने रियल सोसिदाद के साथ अपने वक्त में विंग पर ही खेला था लेकिन एटलेटिको मैड्रिड आने के बाद से उन्होंने खुद को एक कंपलीट फॉरवर्ड के रूप में स्थापित किया है।
एंटोइन ग्रीज़मन
लेफ्ट फुटेड ग्रीज़मन अटैक में किसी भी पोजिशन पर खेलने का दम रखते हैं। ग्रीज़मन एक बेहतरीन टीम प्लेयर हैं और टीम के लिए खेलने पर भरोसा रखते हैं।


Wednesday 14 November 2018

पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गवीरिया के साथ कहां फिट होते हैं डिएगो अरमांडो माराडोना और कोलंबियन फुटबॉल: भाग-3



अब तक आपने जाना कि कैसे कोलंबिया का एक कफन (कब्र का पत्थर) चोर पाब्लो एस्कोबार, कोकीन की तस्करी से इतना कमाने लगा कि उसे रखने की जगह नहीं बची। फुटबॉल प्लेयर्स से दोस्ती के बाद अब उसकी नजर पड़ी थी एक फुटबॉल क्लब- एटलेटिको नैसिओनल पर जिसमें पैसे लगाकर पाब्लो नैसिओनल को साउथ अमेरिका का बेस्ट फुटबॉल क्लब बनाना चाहता था।

अब आगे पढ़िए...
---------------
पाब्लो की नजर एटलेटिको नैसिओनेल पर पड़ चुकी थी और उसने क्लब में पैसे लगाने शुरू कर दिए। क्लब में पैसे लगाने के पीछे पाब्लो या रोबर्टो का मकसद कोई समाजसेवा नहीं था। इसके जरिए वे अपने काले धन को सफेद कर रहे थे। क्लब से जुड़ने के बाद वे असली कमाई को कई गुना बढ़ा-चढ़ाकर दिखा सकते थे। कई मिलियन का हेरफेर कर तुरंत प्रभाव से अपनी काली कमाई को सफेद करने के आइडिया के साथ एस्कोबार बंधु नैसिओनल से जुड़ गए।


प्लेयर्स के ट्रांसफर्स के जरिए भी इसमें पैसे सफेद किए जा सकते थे मतलब सीधा था कि यह पाब्लो के लिए बहुत बड़ी वॉशिंग मशीन जैसा था जिसमें वह कम से कम अपने पैसों पर लगा हर दाग तो मिटा ही सकता था।

अब आपको लग रहा होगा कि इतना बड़ा घोषित अपराधी कैसे किसी क्लब से जुड़ सकता है तो मित्रों पाब्लो बंधु इतने बेवकूफ नहीं थे कि क्लब में सीधे तौर पर कोई पोजिशन लें। पाब्लो बंधु सीधे तौर पर क्लब से नहीं जुड़े लेकिन 'क्लब उनका है' यह बात उतनी ही सीक्रेट थी जितनी मोटा भाई की सरकार का संतरों के शहर से चलना।


1987 से 90 तक क्लब के मैनेजर रहे फ्रांसिस्को पाचो मटुराना ने एक मशहूर डॉक्यूमेंट्री में कहा था, 'फुटबॉल में ड्रग्स के पैसे की आवक ने महान विदेशी प्लेयर्स को साइन करने में हमारी काफी मदद की। यह पैसा हमारे बेस्ट प्लेयर्स को रोकने में भी हमारे काफी काम आया। हमारा लेवल उठने लगा। इसे देखकर लोगों ने कहा कि इसमें पाब्लो की मिलीभगत है लेकिन कोई इस बात को साबित नहीं कर पाया।'

एस्कोबार सिर्फ एक क्लब के साथ नहीं रुका। उसने नैसिओनल के सिटी राइवल्स (जैसे मैनचेस्टर यूनाइटेड का सिटी और रियल मैड्रिड का एटलेटिको मैड्रिड) डेपोर्टिवो इंडेपेंडिएंटे मेडेइन (DIM) में भी पैसे लगाए। पाब्लो इन दोनों टीम्स के होम गेम्स में बराबर स्टैंड्स में दिखता था। मजेदार बात यह है कि ये दोनों इटली के मशहूर क्लबों इंटर और AC मिलान की तरह एक ही स्टेडियम में अपने होम गेम खेलती हैं।

पाब्लो के आइडिया से प्रेरित होकर उनके साथी होजे गाचा (द मैक्सिकन) ने भी फुटबॉल में पैसे लगाना शुरू किया। गाचा ने कोलंबिया की राजधानी बोगोता के क्लब मिलिओनारिओस में पैसे लगाए। पाब्लो एंड कंपनी की देखादेखी पाब्लो के दुश्मन और काली कार्टेल के चीफ मिगुएल रॉड्रिगेज़ ओरेहुएला ने क्लब अमेरिका डे काली की जेबें भर दीं।

कोलंबिया में नार्को फुटबॉल शुरू हो चुकी थी।


मेडेइन के दोनों बड़े क्लबों का बाप बन चुके पाब्लो ने फैंटेसी फुटबॉल (ड्रीम XI जैसी) को एक नए लेवल पर पहुंचा दिया। पाब्लो लगातार अंतराल पर अपने घर में पाब्लो XI बनाम एल मैक्सिकन (गाचा की टीम) XI का मैच कराता। पाब्लो के भाई हाइमे गवीरिया के मुताबिक, 'वे फ्रेंडली मैच होते थे। पाब्लो कहता था कि अपनी ड्रीम टीम चुनो और हम उन्हें रैंच (फार्महाउस काइंड ऑफ) पर ले चलेंगे और फिर वहां शर्त लगेगी।'

इसके लिए प्लेयर्स को मोटी रकम मिलती और कार्टेल आपस में मिलियंस की शर्त लगाती, जीतती और हारती। कुछ प्लेयर्स ऐसे भी थे जिन्हें ऐसे मैचों में खेलना और अपनी सैलरी के सोर्स नहीं पसंद थे लेकिन एल पात्रॉन को मना कौन करे? नैसिओनल के आंद्रेस एस्कोबार (94 वर्ल्ड कप के बाद जान गंवाने वाले) ऐसे प्लेयर्स में प्रमुख थे। हालांकि ज्यादातर प्लेयर्स ऐसे थे जो इन सबके बारे में ज्यादा नहीं सोचते थे।
---------
जारी है....

Tuesday 6 November 2018

पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गवीरिया के साथ कहां फिट होते हैं डिएगो अरमांडो माराडोना और कोलंबियन फुटबॉल-भाग-2



साल 1975, पाब्लो कोकीन के धंधे में पूरी तरह उतर चुका था। कोलंबिया से पनामा और अमेरिका तक वह हवाई जहाजों के जरिए कोकीन पहुंचा रहा था। पाब्लो को कोकीन की तस्करी इसलिए भी रास आई क्योंकि इसमें बाकी सामानों की तस्करी से कम रिस्क था। ड्रग कार्टेल अभी बने नहीं थे और पुलिस वाले भी इसपर उतना ध्यान नहीं देते थे। बाकी अमेरिका तो अभी गांजा पकड़कर ही खुश था।

पाब्लो का धंधा जम गया, बुरी तरह जम गया। इतनी कमाई होने लगी कि पाब्लो को समझ ही नहीं आता था कि इन पैसों का क्या करें। पाब्लो मेडेइन के जिस इलाके में पला-बढ़ा था वहां उसने गरीबों के लिए बहुत से घर, स्कूल और फुटबॉल के मैदान बनवाए। पाब्लो का भाई और अकाउंटेंट रॉबर्टो इन पैसों को इधर-उधर खेतों में दफन करवा रहा था लेकिन पैसे इतने ज्यादा थे कि सिर्फ दफन करने से बात नहीं बनने वाली थी।

जब रॉबर्टो से काम नहीं हुआ तो पाब्लो ने अपना दिमाग लगाया। जैसा कि आपको पता है कि पाब्लो को फुटबॉल से दीवानगी की हद तक प्यार था। कोलंबिया नेशनल टीम के मैच देखने/सुनने के लिए पाब्लो किसी भी हद तक जा सकता था। उस दौर में कोलंबिया नेशनल टीम का हाल बुरा था। दूसरी तरफ कोलंबियन क्लब्स भी कॉन्टिनेंटल लेवल पर कुछ खास नहीं कर पा रहे थे।

1938 में अपना पहला मैच खेलने वाली कोलंबियन नेशनल टीम 1964 में आखिरी बार वर्ल्ड कप खेली थी जहां उसे ग्रुप स्टेज में ही बाहर होना पड़ा था। कोलंबियन क्लब्स भी कोपा लिबेर्टाडोरेस (लैटिन अमेरिकी क्लब फुटबॉल का सबसे बड़ा इवेंट) के पहले-दूसरे राउंड से बाहर हो रहे थे। ऐसे में पाब्लो ने प्यार में इंवेस्ट करने की सोची।

कहते हैं कि पाब्लो ने 80 के दशक से फुटबॉल में पैसा लगाना शुरू किया और लोगों ने बहुत जल्दी पैसे का रंग देखा। कोलंबियन फुटबॉल तेजी से उठने लगी और इसमें बड़ा रोल पाब्लो के पैसे का था। पाब्लो फुटबॉलर भी अच्छा था, वह मैदान के बाईं तरफ (लेफ्ट विंग पर) खेलना पसंद करता था और उसे कट करते हुए अंदर की तरफ आने में महारत हासिल थी।

पाब्लो बहुत एथलेटिक तो नहीं था लेकिन उसमें फुटबॉलिंग सेंस जबरदस्त थी। फुटबॉल में पैसा लगाने से पाब्लो को बहुत तरह के फायदे हुए उनमें से एक फायदा यह भी था कि उसकी बहुत से प्लेयर्स से दोस्ती हो गई। ऐसे कई प्लेयर्स आगे जाकर कोलंबियन फुटबॉल के स्टार्स बने।

रेने हिगुएता

कोलंबिया के लिए 61 इंटरनेशनल मैच खेलने वाले चोंटो हरेरा के मुताबिक, 'कम्यूना (स्लम टाइप) में रेगुलर टूर्नामेंट होते थे। सारे लोग अपनी तकलीफें भूलकर उसमें खेलते थे। मैं बेहद गरीब था लेकिन पिच पर मेरी, हमारी अहमियत होती थी और हम एक परफेक्ट लाइफ जीते थे।'

एलेक्स गार्सिया (25 कैप), चिचो सरना (51 कैप), रेने हिगुएता (68 कैप), फ्रांसिस्को पाचो मटुराना (6 कैप) जैसे तमाम प्लेयर्स पाब्लो की बनाई पिचों पर खेलकर आगे बढ़े। ऐसे ही एक प्लेयर लियोनल अल्वारेज़ (101 कैप) के मुताबिक, 'सब पूछते थे कि पिच किसने बनवाई और फिर लोग ड्रग लॉर्ड होने के लिए पाब्लो की आलोचना करते थे। लेकिन हम इसी को अपनी खुशकिस्मती मानते थे कि हमारे पास पिच थी।'

पिच बनवाने में पाब्लो का इतना खर्च नहीं हो पा रहा था कि बात बने और फिर रॉबर्टो ने पाब्लो को किसी क्लब में पैसे लगाने का सुझाव दिया। पाब्लो मेडेइन में पला-बढ़ा था और जब वह अपने एम्पायर के शुरुआती चरण (1973) में था उसी वक्त मेडेइन स्थित एटलेटिको नैसिओनल ने अपने इतिहास में सिर्फ दूसरी बार कोलंबियन लीग जीती थी।

80 के दशक में पैसों की बेतरतीब आवक से हैरान पाब्लो को इस क्लब की गरीबी (टाइटल्स की ऑफकोर्स) पर तरस आ गया और उसने इसमें पैसे लगाने की सोची। पाब्लो ने नैसिओनल को साउथ अमेरिका का बेस्ट फुटबॉल क्लब बनाने की नीयत से पैसे बहाने शुरू किए।

जारी है.....

Thursday 1 November 2018

पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गवीरिया के साथ कहां फिट होते हैं डिएगो अरमांडो माराडोना और कोलंबियन फुटबॉल



साउथ अमेरिकी देश कोलंबिया के एक किसान अबेल दे हेसुस दारी एस्कोबार इचेवेर्री और स्कूल टीचर हेमिल्दा डे लोस डोलोरे गवीरिया बेर्रियो के सात बच्चों में तीसरे नंबर का बेटा पाब्लो एस्कोबार (पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गवीरिया) पूरी दुनिया में सबसे खतरनाक अपराधियों में से एक के रूप में जाना जाता है।

1949 को कोलंबिया के एंटीक़िया राज्य की रियोनेहरो म्यूनिसिपलिटी में पैदा हुआ पाब्लो काफी कम उम्र में अपराध की दुनिया में उतर गया। कोलंबिया के दूसरे सबसे बड़े शहर मेडेइन में पला-बढ़ा पाब्लो मूंछे उगने से पहले कब्र के पत्थर चुराने लगा था। पाब्लो उन पत्थरों को चुराकर लोकल स्मगलर्स को बेच देता था। हालांकि पाब्लो के भाई रॉबर्टो एस्कोबार के मुताबिक यह सरासर झूठी बातें हैं।

रॉबर्टो का कहना है वे लोग सिर्फ वही पत्थर उठाकर लाते थे जिन कब्रों के मालिक उनके रखरखाव का खर्च देना बंद कर देते थे और उनके एक रिश्तेदार कब्र के पत्थरों का व्यापार करते थे। पाब्लो के बेटे हुआन पाब्लो (सेबेस्टियन मारोक़िन) के मुताबिक उनके पिता ने छात्रों को हाई स्कूल डिप्लोमा बेचकर अपना आपराधिक करियर शुरू किया था।

खैर करियर जैसे भी शुरू हुआ हो लेकिन पाब्लो आगे बढ़ता ही गया और उसने तस्करी, फर्जी लॉटरी टिकट, कार चोरी, किडनैपिंग शुरू कर दी।  बाद में पाब्लो ने एक लोकल स्मगलर अल्वारो प्रीटो के साथ काम करना शुरू कर दिया। पाब्लो 22 साल का होने से पहले अपने अकाउंट में 1 मिलियन कोलंबियन डॉलर जमा करना चाहता था और प्रीटो के साथ उसका काम ऐसा जमा कि 26 का होते-होते उसके अकाउंट में 100 मिलियन कोलंबियन डॉलर्स हो गए थे।

धीरे-धीरे पाब्लो को कोकीन के बिजनेस के बारे में पता चला और फिर उसने कोकीन के बिजनेस में घुसकर जो किया उसे याद कर आज भी उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका (खासतौर से कोलंबिया) सिहर उठते हैं। पाब्लो ने कोकीन के कारोबार से इतने पैसे बनाए कि उनकी गड्डियां बनाने के लिए हरदिन लाखों रुपये के रबर बैंड लगते थे। इस धंधे की शुरुआत में एक बार इक्वाडोर से आते वक्त पाब्लो का 18 किलो व्हाइट पेस्ट (कोकीन पेस्ट) पकड़ा गया।

पाब्लो ने रिश्वत देकर माल छुड़ाना चाहा लेकिन लीगल अथॉरिटी नहीं मानी। पाब्लो ने माल पकड़ने वाले दोनों अफसरों को मरवा दिया और बाद में केस वहीं खत्म हो गया। पाब्लो के भाई रॉबर्टो के मुताबिक यहीं से पाब्लो ने- Plata o Plomo? मतलब पैसा या गोली? वाला अपना फॉर्मूला शुरू किया। (जिसे हम नार्कोस सीरीज के पहले एपिसोड में देख सकते हैं।)

कोलंबिया और दुनिया के अपराध जगत का चेहरा बदल देने वाला कोकीन किंग पाब्लो एस्कोबार फुटबॉल से बेहद प्यार करता था। पाब्लो के लिए फुटबॉल बेहद जरूरी थी। फुटबॉल के साथ पाब्लो सबकुछ भूल जाता था। फुटबॉल के लिए पाब्लो की दीवानगी के किस्से तो यहां तक हैं कि तमाम बार जब उसकी जान को खतरा था वह फुटबॉल देखने/सुनने में बिजी रहता था। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि कोलंबियन सरकार से अपने *युद्ध के दौरान भी उसने फुटबॉल देखना नहीं छोड़ा था।

पाब्लो की मशहूर मेडेइन कार्टेल के अहम मेंबर रहे शूटर वेलास्क्वेज़ वास्क्वेज़ उर्फ 'पॉपॉय' के मुताबिक एक बार जब कोलंबिया की सेना उनका पीछा कर रही थी और वे पाब्लो के साथ एक छोटी सी जगह में छिपे हुए थे, तब भी पाब्लो ने अपने कान रेडियो पर लगा रखे थे। बकौल पॉपॉय, 'मैं सैनिकों को एकदम करीब आता हुआ महसूस कर सकता था और डर के मारे मेरी हालत पतली थी, कि तभी पाब्लो मेरी तरफ मुड़े और कहा, 'पॉपॉय!' मुझे लगा कि सैनिकों ने हमें पकड़ लिया है और मैंने अपनी M16 को फायर के लिए तुरंत तैयार किया किन तभी एस्कोबार बोले- कोलंबिया ने गोल दाग दिया।' यह 1994 वर्ल्ड कप क्वॉलिफायर्स की बात है। पाब्लो की बहन ने एक मशहूर डॉक्यूमेंट्री में कहा था,  'पाब्लो ने हमेशा फुटबॉल से प्यार किया, उसके पहले जूते फुटबॉल बूट्स थे और मरते वक्त भी उसने फुटबॉल बूट्स ही पहन रखे थे।'
----------------
जारी है... #PabloEscobar #Maradona #Football #Colombia #SouthAmerica #Drugs

Thursday 11 October 2018

वह दोस्त जिसके 'जाने' के एक दशक बाद भी हर रोज याद करते हैं सर्जियो रामोस

'10 साल, प्रिय भाई। 10 साल पहले जब तुमने हमें छोड़ा। उस खालीपन के 10 साल जिसे हम कभी समझ नहीं पाएंगे। 10 साल उस दंड के जो हमेशा हमें भुगतना होगा। 10 साल उस जिंदगी के जो अब कभी वैसी नहीं हो पाएगी।

10 साल उस गेम के जो जीतना तुम डिजर्व करते थे। 10 साल यादों के। 10 साल से करीब ना होने के बावजूद तुम्हें करीब महसूस करने के। 10 साल उन तमाम जीतों के जो हमेशा तुम्हारी रहेंगी। 10 साल शाश्वतता के। हमेशा तुम्हारे साथ, हमेशा हमारे साथ।'  - ये शब्द आज से ठीक एक साल पहले आमतौर पर जीत के लिए कुछ भी करने को तैयार, एक क्रूर विजेता के रूप में चित्रित किए जाने वाले स्पैनिश क्लब ​रियल मैड्रिड के कैप्टन सर्जियो रामोस ने किसी की याद में लिखे थे।

AC Milan v Sevilla - UEFA Super Cup

रामोस ने इन शब्दों के जरिए जिसे याद किया था वह उनके करीबी मित्र एंटोनियो पुएर्ता थे जिनकी आज से 11 साल पहले आज ही के दिन मौत हो गई थी। पुएर्ता और रामोस स्पैनिश क्लब सेविया की अकैडमी के प्रोडक्ट थे। क्लब की अकैडमी में एकसाथ लंबा वक्त बिताने के बाद दोनों ने सीनियर टीम में भी अच्छा वक्त एकसाथ बिताया था।

रामोस जहां राइट बैक खेलते थे वहीं पुएर्ता लेफ्ट बैक पोजिशन पर। पुएर्ता पहली बार लाइमलाइट में आए थे 27 अप्रैल 2006 को जब उन्होंने UEFA कप (अब यूरोपा लीग) सेमीफाइनल में जर्मन क्लब शाल्के के खिलाफ बेहतरीन वॉली के जरिए गोल दागकर सेविया को फाइनल में पहुंचाया था।


मजेदार बात यह है कि पुएर्ता ने उसी साल सेविया के लिए फर्स्ट-टीम डेब्यू किया था। अपने डेब्यू सीजन में ही पुएर्ता ने जो धमाल किया और उसे सीजन दर सीजन बेहतर करते गए।

पुएर्ता की परफॉर्मेंस ने यूरोपियन दिग्गज आर्सनल, मैनचेस्टर यूनाइटेड और रियल मैड्रिड जैसे क्लबों का ध्यान खींचा। हालांकि सेविया ने अपने प्लेयर के लिए हर ऑफर रिजेक्ट कर दिया।




11 años desde que mi hermano Antonio Puerta nos dejó. Estés donde estés, nunca te olvidaremos. La mejor forma de recordarle es ayudar a prevenir la muerte súbita. Súmate a y la @BrugadaFound y a la muerte súbita.
👉🏻 http://www.pirulate.org

25 अगस्त 2007 को सेविया के 2007-08 सीजन के पहले ला लीगा मैच के 35वें मिनट में पुएर्ता मैदान पर गिर पड़े। गेटाफे के खिलाफ इस मैच के दौरान उन्हें पिच पर ही कार्डियक अटैक आया और वह निढाल होकर वहीं गिर पड़े।


मेडिकल टीम आई और फिर पुएर्ता अपने पैरों पर खड़े होकर ड्रेसिंग रूम तक गए जहां वह एक बार फिर से गिर पड़े। पुएर्ता को तुरंत नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया जहां 28 अगस्त 2007 को मल्टिपल ऑर्गन फेल्योर, सही ना हो सकने वाले ब्रेन डैमेज और दिल संबंधित समस्या के चलते उनकी मौत हो गई।

पुएर्ता की मौत के बाद क्लब ने उनके द्वारा आखिरी दो सीजंस में पहनी गई 16 नंबर की जर्सी को रिटायर करने का फैसला किया। क्लब ने तय किया था कि उनकी मौत के लगभग दो महीने बाद (22 अक्टूबर 2007) को पैदा हुआ उनका बेटा अइतर एंटोनियो अगर चाहेगा तो बड़ा होने के बाद उस जर्सी को रिटायरमेंट से वापस लाकर पहन सकता है।


लेकिन रॉयल स्पैनिश फुटबॉल फेडरेशन के नियमों के मुताबिक हर क्लब अपनी रेगुलर स्क्वॉड के लिए 1 से 25 नंबर तक की जर्सी का प्रयोग करने के लिए बाध्य है।

इस नियम के चलते क्लब उस जर्सी को रिटायर नहीं कर पाया लेकिन तय किया गया कि अब से क्लब की अकैडमी से निकले प्लेयर्स ही उस जर्सी को पहनेंगे।


साल 2016 में विवादास्पद तरीके से अर्जेंटीनी प्लेयर फेडेरिको फाज़ियो ने इस शर्ट को पहना था जबकि 2017 में क्लब में वापसी करने वाले पुएर्ता के क्लोज फ्रेंड हेसुस नवास इस नंबर को पहन रहे हैं।

रामोस ने 2008, 2012 यूरो कप और 2010 में वर्ल्ड कप जीत के बाद अपने दोस्त की याद में टी-शर्ट पहनकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।




For those of you wondering about Sergio Ramos' shirt->showing respect to his late Sevilla teammate Antonio Puerta

2010 वर्ल्ड कप में हेसुस नवास ने भी इसी तरीके से अपने दोस्त को याद किया था। रामोस ने अपने यहूदी दोस्त पुएर्ता की याद में अपनी बांह में स्टार ऑफ डेविड (यहूदियों का मॉडर्न पहचान चिन्ह) भी बनवा रखा है।

सेविया द्वारा पुएर्ता की याद में साल 2008 से हर साल ट्रोफेओ एंटोनियो पुएर्ता मेमोरियल मैच खेला जा रहा है।

आर्टिकल की फीचर फोटो में पुएर्ता शाल्के के खिलाफ किया गया अपना मशहूर गोल सेलिब्रेट कर रहे हैं।