Friday 20 March 2015

सड़ा-गला सिस्टम और मयूक की मौत के बाद एफआईआर लिखाने के लिये किया गया संघर्ष

सिस्टम, जो कभी नहीं बदलता, किसी के लिये नहीं बदलता। और बदले भी क्यों? इस सिस्टम में हर किसी की जगह फिक्स है। थोड़े फायदे के लिये ये सिस्टम के लोग सिस्टम को अपने फायदे के लिये तोड़-मरो़ड़ कर इस्तेमाल करते हैं। पत्रकारिता में दाखिला लेने के बाद बड़ा घमंड था खुद पर और अपनी पढ़ाई पर, गर्व से कहते थे कि मीडिया के स्टूडेंट हैं, पत्रकार हैं सिस्टम से लड़ेंगे और इसे बदलेंगे क्योंकि हमारे पास ताकत है, कलम की ताकत। हम लड़े भी जहां तक हमसे बन पड़ा हमने लड़ाई लड़ी। हम उस निर्भया के लिये इंडिया गेट पर लड़े जिसे हम जानते तक नहीं थे। हमने पुलिस की लाठियां खाईं, आंसू गैस के गोले झेले, ठंड में ठंडे पानी से भरी वॉटर कैनन झेली। इतना सब करने के बाद सोचा था कि अब कम से कम दिल्ली में तो हर किसी को न्याय मिलेगा। दिल्ली पुलिस अब तो चेतेगी, और पार्क में बैठे लड़के-लड़कियों को परेशान करने के अलावा आम लोगों की समस्याओं की तरफ भी ध्यान देगी। आम आदमी की सुनवाई करेगी, लेकिन हम गलत थे। हां हम गलत थे ये जो दिल्ली पुलिस है ना इसकी चमड़ी इतनी मोटी हो गई है कि इस पर ना तो किसी के आंसुओं से कोई फर्क पड़ता है और ना ही किसी की चीख से। इसे किसी का दर्द नहीं दिखता इसे दिखते हैं तो बस नोट, और पार्क में बैठे लड़के-लड़कियां। बीती रात को इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहने वाला हमारा दोस्त मयूक जोशी इस दुनिया से चला गया। कैसे, क्या हुआ कोई बताने वाला नहीं। हॉस्टल के चीफ वॉर्डन कहते हैं कि वो दिन में मैच जीतकर आया था तो रात को 9वीं मंजिल के ऊपर एक छोटा कमरा है जिसके ऊपर पानी की टंकी टाइप की कोई संरचना है। वो शराब के नशे में(हॉस्टल के अंदर शराब पीकर) उस पर चढ़ा, और गिर गया जिसके बाद (बिना पुलिस को बिना बताये जबकि यूनिवर्सिटी के कैंपस से सटी हुई पुलिस चौकी है) उसे लेकर ये लोग हॉस्पिटल आये जहां रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। सुबह जब मुझे पता चला तो मैं अपने दोस्तों Deep Pilkhwal,Priyagini UpadhayayKhushi AroraRumani Takkar अतुल चंद्राManish RoyMohammad Irfan HussainDinesh Awasthi, देवेंद्र, पूर्णिमा इत्यादि के साथ दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल पंहुचा। जब हम लोग पहुंचे तो डेडबॉडी पोस्टमार्टम के लिये जा चुकी थी। मौके पर ना तो इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी का कोई अधिकारी था और ना ही कोई छात्र। वहां पर बस मयूक की दो सीनियर छात्राएं थीं। मौके पर द्वारका थाने के सब इंस्पेक्टर अशोक कुमार थे जो इस चक्कर में लगे थे कि हम लोग जल्द से जल्द शव को लेकर मयूक के शहर हलद्वानी निकल जायें क्योंकि उनकी ड्यूटी खत्म हो रही थी। जब हमने कहा कि बिना एफआईआर के और बिना यूनिवर्सिटी प्रशासन के आये हम शव नहीं लेंगे तब उन्होंने टाल मटोल शुरू कर दी। बोले कि कुछ नहीं होगा ये वो ऐसा वैसा। इस बीच यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आनन-फानन में मयूक का सामान एक गाड़ी में भरवा कर हॉस्पिटल भेज दिया। फिर हमने मीडिया में अपने जानने वालों को फोन करना शुरू किया। इंडिया न्यूज के हमारे साथी प्रशांत सिंह के जरिये हमारी बात विवेक बाजपेयी सर से हुई जिन्होंने मौके पर रिपोर्टर को भेजा। तब तक हम लगभग 50 से भी ज्यादा बार यूनिवर्सिटी प्रशासन को फोन कर चुके थे। और अशोक कुमार को भी पता चल गया था कि हम इतनी आसानी से मानने वाले नहीं हैं। वो कुछ देर के लिये गायब हुये और जब वापस लौटे तो उनके पीछे ही यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार, मास कॉम डिपार्मेंट के हेड, चीफ वॉर्डन और वॉर्डन वहां आये। और आते ही मनगढ़ंत कहानियां सुनानी शुरू कर दीं। बोले की वो फायर एग्जिट से जरिये उतने ऊपर पहुंच गया था, वो भी शराब पीकर। अब ये समझ नहीं आ रहा कि फायर एग्जिट ऊपर जाने के लिये होती है या बाहर आने के लिये। और बच्चे हॉस्टल में शराब पीते हैं तो आखिर उसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी है? अभी पिछले साल ही उसी जगह से गिरकर एक और छात्र की मौत हो चुकी है। उसके बाद भी प्रशासन ने ना तो वो जगह लॉक की और ना ही वहां पर सुरक्षा के कोई इंतजाम किये। यहां तक कि 9 फ्लोर के हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरा तक नहीं है। उन्होंने हम पर बॉडी लेने के लिये काफी दबाव बनाया लेकिन जब हम एफआईआर के लिये अड़े रहे तो सब इंस्पेक्टर साहब नई थ्योरी के साथ सामने आये। उन्होंने कहा कि मुझे लिखकर दे दो और बॉडी ले लो मैं थाने जाकर एक घंटे में एफआईआर की कॉपी दे दूंगा। फिर जब हम लिखने लगे तो बोले कि सोच-समझ कर करो जो भी करना है क्योंकि होना तो कुछ है नहीं। बिना वजह गवाही के लिये अदालत और थाने का चक्कर काटना पड़ेगा। किसी तरह से उन्होंने शिकायत ले ली। इस दौरान कई पुलिस वाले आये और गये। और मौके पर मौजूद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से जब हमने वहां के छात्रों की अस्पताल में अनुपस्थिति के बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ ही देर में युनिवर्सिटी से 7-8 छात्रों को बुलवा लिया। वो छात्र ना तो मयूक के डिपार्टमेंट के थे ना ही उसके दोस्त थे, यहां तक कि उनमें से बस एक लड़का ऐसा था जो मयूक के फ्लोर पर रहता था। कुछ वक्त बीतने और अशोक जी के क्रियाकलाप देखने के बाद जब हमें लगा कि इनके जरिये कुछ होने वाला नहीं है तो हम उत्तरी जिले में स्थित द्वारका सेक्टर 16बी थाने पहुंचे। वहां हमें एसएचओ अशोक कुमार जी मिले उन्होंने भी तमाम प्रोसीजर गिनाये और मयूक के मामाजी को अपनी गाड़ी में बिठाकर कहीं ले जाने लगे। जब हमने विरोध किया और कहा कि जहां भी जायेंगे हम सब जायेंगे तो वो बोले कि ठीक है यहीं रुको हम डीसीपी से मिलकर आते हैं। फिर वो 45 मिनट बाद आये और एप्लीकेशन फिर से लिखवाई और बोले कि एक घंटे रुकिये फिर उसके बाद आपको एफआईआर की कॉपी मिल जायेगी। डेढ़ घंटे से ज्यादा समय बीतने के बाद जब कुछ नहीं हुआ तो हमने किसी तरह लिंक जोड़कर एक न्यूज चैनल से एक भइया को बुलवाया जो कि एसएचओ महोदय के बैचमेट एक दूसरे एसएचओ के छोटे भाई हैं। वो अपने साथ उन एसएचओ को महोदय को भी लेकर आये। उनके आने के थोड़ी देर बाद एक कांस्टेबल ने आकर मयूक के नाम की स्पेलिंग पूछी। और फिर लगभग एक घंटे में हमें एफआईआर की कॉपी मिली। सिर्फ एक एफआईआर लिखाने के लिये हमें कुल मिलाकर हम 4 घंटे से भी ज्यादा समय तक द्वारका सेक्टर 16बी थाने में खड़े रहना पड़ा।
इतनी मशक्कत के बाद अगर एफआईआर दर्ज हुई तो इस हाल में हम कैसे उम्मीद करें कि निष्पक्ष जांच होगी और हमें अपने दोस्त की मौत के पीछे के असली कारण का पता चल पायेगा?
खैर ये लड़ाई लंबी चलेगी और हम अंत तक लड़ेंगे। मयूक को इंसाफ जरूर मिलेगा।

Thursday 19 March 2015

It Was Messi VS City & You Know... No One Can Stop The Little Magician

18 March: Camp nou Barcelona. Semi qurater final match of the UEFA Champions League played between Luis Enrique's Barcelona and M. Pellegrini's Manchester City. The match was full of excitement. both teams tried there best to win the match. But finally team Barcelona won the match by 1-0.
City's captain Vincent Kompany played a horrible game that's why his team suffered a lot in this match. In the 6th minute of the match Barcelona's Neymar Jr tried to find the net from inside of the penalty area, but his shot was not accurate enough as the ball hit hard at the inner left side of the goal post and went away. At the 14th minute of the game City's Toure Yaya passed the ball to James Milner who was  infront of goal but thanks to superb defending from Jordi Alba who dived and took the ball away from Milner.
Barcelona's players were playing attacking game & the next moment  Neymar was fouled by Fernandinho, who received the first yellow card of the match. After getting the free kick Messi tried to find the net but his shot was high & missed the left top corner. both teams were trying to score but no one succeed. In 27 minuets of the game Manchester City's David Silva tried to tackle Messi from behind and the referee called it a foul.  Barcelona got another free kick following the yellow card of Silva. But Messi again missed it by playing the similar shot. 
City's players made a good team move near the box of Barcelona at 31 minute of the game but the defenders were quick enough to snatch the ball from Samir Nasri. Dani Alves got the ball from him and made a quick run towards City's half, he passed the ball to Messi, Messi gave a good high ball forward to Ivan Rakitic who was inside the box. Rakitic received the ball on his chest and make it 1-0 for Barcelona.
Just three minutes after this goal, Barcelona got a good chance to score after Yaya Toure's foul on Suarez. This time Rakitic took the free kick but he missed the chance by kicking the ball very high from the goalpost. Just before halftime Barca striker Suarez missed a very good chance to score when, Neymar passed the ball by taking advantage of Kompany and Demichelis's mistake of giving a big gap between them. Suarez got the ball and beat the goal keepar Joe Hart by with a chip shot but it was too close, ball hit the post. After few moments Toure Yaya tried to score but his shot was too high. At the closing moments of first half Manchester City's Striker Kun Aguero got a very good chance of equaliser but Barca's defenders were too quick, they cleared the ball very safely and City forced to corner kick.
The beginning of second half was very exiting for Barca. as they tried to find the net four time in the first 4 minutes of second half, but thanks to Joe Hart who denied Jordi Alba everytime, Iniesta and Messi.
Later on City missed a very easy chance to equalize when Aguero's penalty was stopped by Barca Goal keeper Ter Stegen.
Both teams played good football but Barcelona had "MESSI".

Tuesday 17 March 2015

मैच जीतकर भी बाहर हुई आर्सेनल






17 मार्च: स्टैड लुईस-2 (मोनैको) :  यूईएफए चैंपियंस लीग के इस सेमी क्वार्टरफाइनल के शुरू होने से पहले ही आर्सेनल को पता था कि उन्हें हर हाल में ये मैच कम से कम तीन गोल के अंतर से जीतना है। उन्होंने प्रयास भी किये मोनाको को एक भी गोल नहीं करने दिया लेकिन वो खुद भी तीन गोल नहीं कर पाये। नतीजे के तौर पर उन्हें लगातार पांचवे साल चैंपियंस लीग के सेमी क्वार्टरफाइनल से बाहर हो जाना पड़ा।
मोनैको के घरेलू मैदान पर खेले गये इस मैच पर आर्सेनल ने शुरू से ही अपना दबदबा बनाये रखा। मैच के कुल 90 मिनट में आर्सेनल के पास 70 % से भी ज्यादा वक्त तक गेंद रही यानि कि गेंद पर कब्जा तो उनका रहा लेकिन मिले मौकों को भुना ना पाने के कारण उन्हें ये मैच जीतकर भी बाहर हो जाना पड़ा। मैच में आर्सेनल को कुल 5 कॉर्नर मिले लेकिन एक भी कॉर्नर को वो गोल में नहीं बदल पाये। तो वहीं मैच के शुरुआती क्षणों में एलेक्सिस सांचेज के एक खूबसूरत पास को डैनी वेलबैक ने यूं ही गंवा दिया। इस मैच में वेलबैक ने कम से कम दो आसान मौके गंवाये जिसका खामियाजा आर्सेनल को चैंपियंस लीग से बाहर होकर उठाना पड़ा। आर्सेनल की तरफ से मैच का पहला गोल ओलिवर गिरोउड ने किया। मैच के 36वें मिनट में डैनी वेलबैक के क्रॉस को गिरोउड ने जाल में उलझाने की कोशिश की लेकिन मौनेको के गोलकीपर डैनिजेल सुबासिक ने गिरोउड के शॉट को शानदार तरीके से रोक लिया। लेकिन सुबासिक के स्टॉप के बाद जब गेंद उछली तो सीधे गिरोउड के पास आई और आर्सेनल के इस फ्रेंच स्टार ने इस बार बिना कोई गलती करते हुये गेंद को गोलपोस्ट में डाल दिया। इस गोल के बाद दोनों टीमों ने कई मौके बनाये लेकिन किसी को भी गोल करने में सफलता नहीं मिली। मैच के 63वें मिनट में सब्सीट्यूट के तौर पर आये आरोन रामज़ी ने 79 मिनट में थियो वॉल्कॉट के शॉट पर पोस्ट से लगकर वापस आती गेंद सीधे जाल में अटका दिया। हालांकि इस गोल में मोनैको के डिफेंडर कुरजावा का भी काफी योगदान रहा जो कि गेंद को क्लीयर नहीं कर पाये और उन्होंने उसे सीधे रामज़ी के पैरों पर भेज दिया। रामज़ी ने इस मौके को बखूबी भुनाया और गेंद को सीधे जाल में अटका दिया। इस गोल के बाद जहां मौनैको ने कुछ चांसेज बनाये तो वहीं आर्सेनल की टीम थकी थकी नजर आई। अंत में मोनैको ने इस मैच को तो गंवा दिया लेकिन अवे गोल रूल के आधार पर बाजीगर बनते हुये चैंपियंस लीग के क्वार्टरफाइनल में जगह बना ली।

Friday 13 March 2015

चेल्सी का यूं चैंपियंस लीग से बाहर हो जाना

स्टैम्फोर्ड ब्रिज में चेल्सी और पीएसजी के बीच खेले गये चैंपियंस ट्रॉफी के सेमी क्वार्टर फाइनल मुकाबले में पीएसजी ने चेल्सी से 2-2 से ड्रॉ खेलकर अवे गोल रूल के आधार पर क्वार्टर फाइनल के लिये क्वालीफाई कर लिया।  मुकाबला कितना कड़ा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रेफरी ब्जोर्न कुइपर को मैच में कुल 7 येलो और एक रेड कॉर्ड दिखाना पड़ा।
मैच की शुरुआत से ही दोनों टीमों ने ज्यादा से ज्यादा अटैकिंग फुटबॉल खेलने पर जोर दिया। जिसके फलस्वरुप मैच के 31वें मिनट में ही रेफरी को पीएसजी के स्टार स्ट्राइकर ज्लाटन इब्राहिमोविक को चेल्सी के मिडफील्डर ऑस्कर पर किये गये गंभीर फाउल के लिये रेड कार्ड दिखाते हुये मैच से बाहर करना पड़ा। जिसके  चलते पीएसजी को पूरे मैच में 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा। चेल्सी के लिये इस मैच का पहला गोल डिफेंडर गैरी केहिल ने किया, मैच के 81वें मिनट में मिले कॉर्नर पर फैब्रेगास की किक को पीएसजी के कप्तान थिएगो सिल्वा ने हेडर के जरिये लगभग क्लीयर ही कर दिया था। लेकिन उनके हेडर से उछली गेंद गैरी के पास आ गई जिस पर उन्होंने करारा शॉट जमाकर पीएसजी के गोली सिरिगु को आश्चर्यचकित कर दिया। शॉट इतना तेज था कि सिरिगु को हिलने तक का मौका दिये बिना गेंद जाल में जा चुकी थी। इस गोल से मैच चेल्सी की तरफ झुकता दिख रहा था लेकिन, लगभग चार मिनट बाद ही चेल्सी के लिये खेल चुके पीएसजी के ब्राजीली डिफेंडर डेविड लुइज ने अर्जेंटीनी फॉरवर्ड लवेज्जी द्वारा ली गई कॉर्नर किक पर तूफानी हेडर से गोल जमाकर पीएसजी के प्रशंसकों को सीट से उछलने पर मजबूर कर दिया। हालांकि उनके इस गोल से चेल्सी के मैनेजर जोस मॉरिन्हो जरूर निराश हुये। लुइज के इस गोल से मैच को लगभग हार चुकी पीएसजी के लिये उम्मीद की एक किरण दिखने लगी। निर्धारित समय तक मैच 1-1 से बराबर रहा जिसके कारण मैच को अतिरिक्त समय में ले जाना पड़ा। अतिरिक्त समय के पहले हाफ के 5वें मिनट यानि कि मैच के 95वें मिनट में चेल्सी के स्ट्राइकर डिएगो कोस्टा ने गेंद को पीएसजी के बॉक्स में उछाला जिसे क्लीयर करने के प्रयास में उछले थिएगो सिल्वा का हाथ गेंद को छू गया,जिसके चलते चेल्सी को पेनाल्टी मिल गई। इस मौके का फायदा उठाते हुये इडेन हजार्ड ने पीएसजी के गोली सिरिगु को छकाकर शानदार गोल दागते हुये चेल्सी को फिर से आगे कर दिया। इस गोल के बाद पीएसजी के समर्थकों ने चैंपियंस लीग में अपने सफर को लगभग समाप्त ही मान लिया था। लेकिन मौजूदा समय में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ डिफेंडर औऱ पीएसजी के कप्तान थिएगो सिल्वा इस मैच में कुछ और  ही सोचकर उतरे थे। अतिरिक्त समय के दूसरे हाफ में अंतिम क्षणों में जब मैच अपने अंत की तरफ बढ़ रहा था कि तभी 113वें मिनट में थिएगो मोट्टा के लिये कॉर्नर पर सिल्वा ने ऊंचे हेडर के जरिये गेंद को गोलपोस्ट के दाहिने किनारे की तरफ अटका दिया और इसी के साथ चेल्सी के खिलाड़ियों, प्रशंसकों के साथ ही मैनेजर जोस मॉरिन्हो की सांसें भी अटक गईं। मैच के बाकी वक्त में दोनों टीमों ने गोल करने की भरसक कोशिश की लेकिन कोई भी टीम बढ़त लेने में कामयाब नहीं हुई और मैच 2-2 से ड्रॉ हो गया। इसी के साथ चेल्सी चैंपियंस लीग से बाहर भी हो गई और पीएसजी अवे गोल्स के आधार पर क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली।

अवे गोल रूल-- इस रुल के मुताबिक दोनों टीमों के बराबर अंक होने अर्थात अगर दोनों टीमें एक-एक मैच जीत लेती हैं या फिर दोनों ही मैच बराबर छूटते हैं तो फिर अवे यानि की विपक्षी टीम के मैदान पर किये गोलों की संख्या के आधार पर बढ़त लेने वाली टीम आगे जाती है।
चूंकि इस लीग के हर दौर में दोनों टीमों को एक मैच अपने तथा एक मैच विपक्षी टीम के मैदान पर खेलना होता है।

Friday 6 March 2015

भारत की बेटी

16 दिसम्बर 2012 की घटना को काफी वक्त बीत चुका है। इस दौरान यमुना में ना जाने कितना पानी बह गया और दिल्ली में ना जाने कितनी लड़कियों का बलात्कार हुआ, सरकारें आईं और चली गईं। इस दौरान दिल्ली में और देश में भी बहुत कुछ बदला। अगर कुछ नहीं बदला तो वो है महिलाओं के प्रति समाज का रवैया। दिल्ली गैंगरेप से पहले भी हमारे यहां महिलाएं भोग की वस्तु थीं और आज भी हैं। अफसोस तो इस बात का है कि इतनी घटनाओं के बाद भी हम महिलाओं को बुरी नजर से ही देखते हैं। और ऐसे में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में मुकेश द्वारा दिया गया बयान कि ताली एक हाथ से नहीं बजती हमारे समाज में महिलाओं के प्रति पुरुषों की सोच को साफ दिखाता है। उसी डॉक्यूमेंट्री में मुकेश और अन्य आरोपियों के वकीलों एम एल शर्मा और एपी सिंह का कहना है कि महिलाएं घर की चारदीवारी में ही सुरक्षित हैं। और रात में तो उनका बाहर निकलना गुनाह है। ऐसा गुनाह जिसके बदले उनका रेप भी हो जाये तो उसके लिये वो ही जिम्मेदार हैं।  समझ नहीं आता कि कमी कहां है? हमारी शिक्षा प्रणाली में या सामाजिक संरचना में ? क्योंकि शिक्षित और अनपढ़ या कम पढ़े लिखे लोगों की सोच में ज्यादा अंतर नहीं दिखता। और निंदनीय तो ये भी है कि हमारी सरकार ने उस सोच का फैलाव रोकने के लिये सच दिखाने पर ही रोक लगा दी। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की 2013 की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में महिलाओं से संबंधित अपराधों की संख्या 309546 दर्ज की गई थी। जिसमें से 33707 मामले बलात्कार के थे। मेट्रो सिटीज में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर सबसे ज्यादा रेप दिल्ली में होते हैं तो वहीं अगर ओवरऑल बात करें तो प्रति एक लाख की जनसंख्या पर सबसे ज्यादा रेप मिजोरम में होते हैं उसके बाद त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम, असम का नंबर आता है। बाकी राज्यों के हालात भी बहुत बेहतर नहीं हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि पूरे देश में महिलाओं की स्थिति कितनी खराब है। और सरकारें उस स्थिति को सुधारने की जगह सच को दिखाने पर ही रोक लगा रही हैं। क्या होता अगर उस ड़ॉक्यूमेंट्री का प्रसारण हो जाता ? कम से कम हमारे देश की महिलाओं को तो पता चलता कि वो कहां रह रही हैं? उनके देश के पुरुषों की सोच कैसी है, वो दुर्गा की तो पूजा करते हैं लेकिन सामने दिखने वाली हर लड़की को छेड़ना अपना धर्म समझते हैं। अब वक्त आ गया है कि नेताओं को बता दिया जाय कि महिला सशक्तिकरण पर सिर्फ भाषण देने से काम नहीं चलेगा, धरातल पर प्रयास करने होंगे। और लगे हाथ उन लोगों को भी चेतावनी दे दी जाय जो मुकेश या उसके वकीलों की तरह सोचते हैं। कि अब भी वक्त है सुधर जाओ वर्ना 5 मार्च 2015 की तारीख को नागालैंड में जो हुआ वो बाकी देश में भी हो सकता है।