Wednesday 14 November 2018

पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गवीरिया के साथ कहां फिट होते हैं डिएगो अरमांडो माराडोना और कोलंबियन फुटबॉल: भाग-3



अब तक आपने जाना कि कैसे कोलंबिया का एक कफन (कब्र का पत्थर) चोर पाब्लो एस्कोबार, कोकीन की तस्करी से इतना कमाने लगा कि उसे रखने की जगह नहीं बची। फुटबॉल प्लेयर्स से दोस्ती के बाद अब उसकी नजर पड़ी थी एक फुटबॉल क्लब- एटलेटिको नैसिओनल पर जिसमें पैसे लगाकर पाब्लो नैसिओनल को साउथ अमेरिका का बेस्ट फुटबॉल क्लब बनाना चाहता था।

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पाब्लो की नजर एटलेटिको नैसिओनेल पर पड़ चुकी थी और उसने क्लब में पैसे लगाने शुरू कर दिए। क्लब में पैसे लगाने के पीछे पाब्लो या रोबर्टो का मकसद कोई समाजसेवा नहीं था। इसके जरिए वे अपने काले धन को सफेद कर रहे थे। क्लब से जुड़ने के बाद वे असली कमाई को कई गुना बढ़ा-चढ़ाकर दिखा सकते थे। कई मिलियन का हेरफेर कर तुरंत प्रभाव से अपनी काली कमाई को सफेद करने के आइडिया के साथ एस्कोबार बंधु नैसिओनल से जुड़ गए।


प्लेयर्स के ट्रांसफर्स के जरिए भी इसमें पैसे सफेद किए जा सकते थे मतलब सीधा था कि यह पाब्लो के लिए बहुत बड़ी वॉशिंग मशीन जैसा था जिसमें वह कम से कम अपने पैसों पर लगा हर दाग तो मिटा ही सकता था।

अब आपको लग रहा होगा कि इतना बड़ा घोषित अपराधी कैसे किसी क्लब से जुड़ सकता है तो मित्रों पाब्लो बंधु इतने बेवकूफ नहीं थे कि क्लब में सीधे तौर पर कोई पोजिशन लें। पाब्लो बंधु सीधे तौर पर क्लब से नहीं जुड़े लेकिन 'क्लब उनका है' यह बात उतनी ही सीक्रेट थी जितनी मोटा भाई की सरकार का संतरों के शहर से चलना।


1987 से 90 तक क्लब के मैनेजर रहे फ्रांसिस्को पाचो मटुराना ने एक मशहूर डॉक्यूमेंट्री में कहा था, 'फुटबॉल में ड्रग्स के पैसे की आवक ने महान विदेशी प्लेयर्स को साइन करने में हमारी काफी मदद की। यह पैसा हमारे बेस्ट प्लेयर्स को रोकने में भी हमारे काफी काम आया। हमारा लेवल उठने लगा। इसे देखकर लोगों ने कहा कि इसमें पाब्लो की मिलीभगत है लेकिन कोई इस बात को साबित नहीं कर पाया।'

एस्कोबार सिर्फ एक क्लब के साथ नहीं रुका। उसने नैसिओनल के सिटी राइवल्स (जैसे मैनचेस्टर यूनाइटेड का सिटी और रियल मैड्रिड का एटलेटिको मैड्रिड) डेपोर्टिवो इंडेपेंडिएंटे मेडेइन (DIM) में भी पैसे लगाए। पाब्लो इन दोनों टीम्स के होम गेम्स में बराबर स्टैंड्स में दिखता था। मजेदार बात यह है कि ये दोनों इटली के मशहूर क्लबों इंटर और AC मिलान की तरह एक ही स्टेडियम में अपने होम गेम खेलती हैं।

पाब्लो के आइडिया से प्रेरित होकर उनके साथी होजे गाचा (द मैक्सिकन) ने भी फुटबॉल में पैसे लगाना शुरू किया। गाचा ने कोलंबिया की राजधानी बोगोता के क्लब मिलिओनारिओस में पैसे लगाए। पाब्लो एंड कंपनी की देखादेखी पाब्लो के दुश्मन और काली कार्टेल के चीफ मिगुएल रॉड्रिगेज़ ओरेहुएला ने क्लब अमेरिका डे काली की जेबें भर दीं।

कोलंबिया में नार्को फुटबॉल शुरू हो चुकी थी।


मेडेइन के दोनों बड़े क्लबों का बाप बन चुके पाब्लो ने फैंटेसी फुटबॉल (ड्रीम XI जैसी) को एक नए लेवल पर पहुंचा दिया। पाब्लो लगातार अंतराल पर अपने घर में पाब्लो XI बनाम एल मैक्सिकन (गाचा की टीम) XI का मैच कराता। पाब्लो के भाई हाइमे गवीरिया के मुताबिक, 'वे फ्रेंडली मैच होते थे। पाब्लो कहता था कि अपनी ड्रीम टीम चुनो और हम उन्हें रैंच (फार्महाउस काइंड ऑफ) पर ले चलेंगे और फिर वहां शर्त लगेगी।'

इसके लिए प्लेयर्स को मोटी रकम मिलती और कार्टेल आपस में मिलियंस की शर्त लगाती, जीतती और हारती। कुछ प्लेयर्स ऐसे भी थे जिन्हें ऐसे मैचों में खेलना और अपनी सैलरी के सोर्स नहीं पसंद थे लेकिन एल पात्रॉन को मना कौन करे? नैसिओनल के आंद्रेस एस्कोबार (94 वर्ल्ड कप के बाद जान गंवाने वाले) ऐसे प्लेयर्स में प्रमुख थे। हालांकि ज्यादातर प्लेयर्स ऐसे थे जो इन सबके बारे में ज्यादा नहीं सोचते थे।
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Tuesday 6 November 2018

पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गवीरिया के साथ कहां फिट होते हैं डिएगो अरमांडो माराडोना और कोलंबियन फुटबॉल-भाग-2



साल 1975, पाब्लो कोकीन के धंधे में पूरी तरह उतर चुका था। कोलंबिया से पनामा और अमेरिका तक वह हवाई जहाजों के जरिए कोकीन पहुंचा रहा था। पाब्लो को कोकीन की तस्करी इसलिए भी रास आई क्योंकि इसमें बाकी सामानों की तस्करी से कम रिस्क था। ड्रग कार्टेल अभी बने नहीं थे और पुलिस वाले भी इसपर उतना ध्यान नहीं देते थे। बाकी अमेरिका तो अभी गांजा पकड़कर ही खुश था।

पाब्लो का धंधा जम गया, बुरी तरह जम गया। इतनी कमाई होने लगी कि पाब्लो को समझ ही नहीं आता था कि इन पैसों का क्या करें। पाब्लो मेडेइन के जिस इलाके में पला-बढ़ा था वहां उसने गरीबों के लिए बहुत से घर, स्कूल और फुटबॉल के मैदान बनवाए। पाब्लो का भाई और अकाउंटेंट रॉबर्टो इन पैसों को इधर-उधर खेतों में दफन करवा रहा था लेकिन पैसे इतने ज्यादा थे कि सिर्फ दफन करने से बात नहीं बनने वाली थी।

जब रॉबर्टो से काम नहीं हुआ तो पाब्लो ने अपना दिमाग लगाया। जैसा कि आपको पता है कि पाब्लो को फुटबॉल से दीवानगी की हद तक प्यार था। कोलंबिया नेशनल टीम के मैच देखने/सुनने के लिए पाब्लो किसी भी हद तक जा सकता था। उस दौर में कोलंबिया नेशनल टीम का हाल बुरा था। दूसरी तरफ कोलंबियन क्लब्स भी कॉन्टिनेंटल लेवल पर कुछ खास नहीं कर पा रहे थे।

1938 में अपना पहला मैच खेलने वाली कोलंबियन नेशनल टीम 1964 में आखिरी बार वर्ल्ड कप खेली थी जहां उसे ग्रुप स्टेज में ही बाहर होना पड़ा था। कोलंबियन क्लब्स भी कोपा लिबेर्टाडोरेस (लैटिन अमेरिकी क्लब फुटबॉल का सबसे बड़ा इवेंट) के पहले-दूसरे राउंड से बाहर हो रहे थे। ऐसे में पाब्लो ने प्यार में इंवेस्ट करने की सोची।

कहते हैं कि पाब्लो ने 80 के दशक से फुटबॉल में पैसा लगाना शुरू किया और लोगों ने बहुत जल्दी पैसे का रंग देखा। कोलंबियन फुटबॉल तेजी से उठने लगी और इसमें बड़ा रोल पाब्लो के पैसे का था। पाब्लो फुटबॉलर भी अच्छा था, वह मैदान के बाईं तरफ (लेफ्ट विंग पर) खेलना पसंद करता था और उसे कट करते हुए अंदर की तरफ आने में महारत हासिल थी।

पाब्लो बहुत एथलेटिक तो नहीं था लेकिन उसमें फुटबॉलिंग सेंस जबरदस्त थी। फुटबॉल में पैसा लगाने से पाब्लो को बहुत तरह के फायदे हुए उनमें से एक फायदा यह भी था कि उसकी बहुत से प्लेयर्स से दोस्ती हो गई। ऐसे कई प्लेयर्स आगे जाकर कोलंबियन फुटबॉल के स्टार्स बने।

रेने हिगुएता

कोलंबिया के लिए 61 इंटरनेशनल मैच खेलने वाले चोंटो हरेरा के मुताबिक, 'कम्यूना (स्लम टाइप) में रेगुलर टूर्नामेंट होते थे। सारे लोग अपनी तकलीफें भूलकर उसमें खेलते थे। मैं बेहद गरीब था लेकिन पिच पर मेरी, हमारी अहमियत होती थी और हम एक परफेक्ट लाइफ जीते थे।'

एलेक्स गार्सिया (25 कैप), चिचो सरना (51 कैप), रेने हिगुएता (68 कैप), फ्रांसिस्को पाचो मटुराना (6 कैप) जैसे तमाम प्लेयर्स पाब्लो की बनाई पिचों पर खेलकर आगे बढ़े। ऐसे ही एक प्लेयर लियोनल अल्वारेज़ (101 कैप) के मुताबिक, 'सब पूछते थे कि पिच किसने बनवाई और फिर लोग ड्रग लॉर्ड होने के लिए पाब्लो की आलोचना करते थे। लेकिन हम इसी को अपनी खुशकिस्मती मानते थे कि हमारे पास पिच थी।'

पिच बनवाने में पाब्लो का इतना खर्च नहीं हो पा रहा था कि बात बने और फिर रॉबर्टो ने पाब्लो को किसी क्लब में पैसे लगाने का सुझाव दिया। पाब्लो मेडेइन में पला-बढ़ा था और जब वह अपने एम्पायर के शुरुआती चरण (1973) में था उसी वक्त मेडेइन स्थित एटलेटिको नैसिओनल ने अपने इतिहास में सिर्फ दूसरी बार कोलंबियन लीग जीती थी।

80 के दशक में पैसों की बेतरतीब आवक से हैरान पाब्लो को इस क्लब की गरीबी (टाइटल्स की ऑफकोर्स) पर तरस आ गया और उसने इसमें पैसे लगाने की सोची। पाब्लो ने नैसिओनल को साउथ अमेरिका का बेस्ट फुटबॉल क्लब बनाने की नीयत से पैसे बहाने शुरू किए।

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Thursday 1 November 2018

पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गवीरिया के साथ कहां फिट होते हैं डिएगो अरमांडो माराडोना और कोलंबियन फुटबॉल



साउथ अमेरिकी देश कोलंबिया के एक किसान अबेल दे हेसुस दारी एस्कोबार इचेवेर्री और स्कूल टीचर हेमिल्दा डे लोस डोलोरे गवीरिया बेर्रियो के सात बच्चों में तीसरे नंबर का बेटा पाब्लो एस्कोबार (पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गवीरिया) पूरी दुनिया में सबसे खतरनाक अपराधियों में से एक के रूप में जाना जाता है।

1949 को कोलंबिया के एंटीक़िया राज्य की रियोनेहरो म्यूनिसिपलिटी में पैदा हुआ पाब्लो काफी कम उम्र में अपराध की दुनिया में उतर गया। कोलंबिया के दूसरे सबसे बड़े शहर मेडेइन में पला-बढ़ा पाब्लो मूंछे उगने से पहले कब्र के पत्थर चुराने लगा था। पाब्लो उन पत्थरों को चुराकर लोकल स्मगलर्स को बेच देता था। हालांकि पाब्लो के भाई रॉबर्टो एस्कोबार के मुताबिक यह सरासर झूठी बातें हैं।

रॉबर्टो का कहना है वे लोग सिर्फ वही पत्थर उठाकर लाते थे जिन कब्रों के मालिक उनके रखरखाव का खर्च देना बंद कर देते थे और उनके एक रिश्तेदार कब्र के पत्थरों का व्यापार करते थे। पाब्लो के बेटे हुआन पाब्लो (सेबेस्टियन मारोक़िन) के मुताबिक उनके पिता ने छात्रों को हाई स्कूल डिप्लोमा बेचकर अपना आपराधिक करियर शुरू किया था।

खैर करियर जैसे भी शुरू हुआ हो लेकिन पाब्लो आगे बढ़ता ही गया और उसने तस्करी, फर्जी लॉटरी टिकट, कार चोरी, किडनैपिंग शुरू कर दी।  बाद में पाब्लो ने एक लोकल स्मगलर अल्वारो प्रीटो के साथ काम करना शुरू कर दिया। पाब्लो 22 साल का होने से पहले अपने अकाउंट में 1 मिलियन कोलंबियन डॉलर जमा करना चाहता था और प्रीटो के साथ उसका काम ऐसा जमा कि 26 का होते-होते उसके अकाउंट में 100 मिलियन कोलंबियन डॉलर्स हो गए थे।

धीरे-धीरे पाब्लो को कोकीन के बिजनेस के बारे में पता चला और फिर उसने कोकीन के बिजनेस में घुसकर जो किया उसे याद कर आज भी उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका (खासतौर से कोलंबिया) सिहर उठते हैं। पाब्लो ने कोकीन के कारोबार से इतने पैसे बनाए कि उनकी गड्डियां बनाने के लिए हरदिन लाखों रुपये के रबर बैंड लगते थे। इस धंधे की शुरुआत में एक बार इक्वाडोर से आते वक्त पाब्लो का 18 किलो व्हाइट पेस्ट (कोकीन पेस्ट) पकड़ा गया।

पाब्लो ने रिश्वत देकर माल छुड़ाना चाहा लेकिन लीगल अथॉरिटी नहीं मानी। पाब्लो ने माल पकड़ने वाले दोनों अफसरों को मरवा दिया और बाद में केस वहीं खत्म हो गया। पाब्लो के भाई रॉबर्टो के मुताबिक यहीं से पाब्लो ने- Plata o Plomo? मतलब पैसा या गोली? वाला अपना फॉर्मूला शुरू किया। (जिसे हम नार्कोस सीरीज के पहले एपिसोड में देख सकते हैं।)

कोलंबिया और दुनिया के अपराध जगत का चेहरा बदल देने वाला कोकीन किंग पाब्लो एस्कोबार फुटबॉल से बेहद प्यार करता था। पाब्लो के लिए फुटबॉल बेहद जरूरी थी। फुटबॉल के साथ पाब्लो सबकुछ भूल जाता था। फुटबॉल के लिए पाब्लो की दीवानगी के किस्से तो यहां तक हैं कि तमाम बार जब उसकी जान को खतरा था वह फुटबॉल देखने/सुनने में बिजी रहता था। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि कोलंबियन सरकार से अपने *युद्ध के दौरान भी उसने फुटबॉल देखना नहीं छोड़ा था।

पाब्लो की मशहूर मेडेइन कार्टेल के अहम मेंबर रहे शूटर वेलास्क्वेज़ वास्क्वेज़ उर्फ 'पॉपॉय' के मुताबिक एक बार जब कोलंबिया की सेना उनका पीछा कर रही थी और वे पाब्लो के साथ एक छोटी सी जगह में छिपे हुए थे, तब भी पाब्लो ने अपने कान रेडियो पर लगा रखे थे। बकौल पॉपॉय, 'मैं सैनिकों को एकदम करीब आता हुआ महसूस कर सकता था और डर के मारे मेरी हालत पतली थी, कि तभी पाब्लो मेरी तरफ मुड़े और कहा, 'पॉपॉय!' मुझे लगा कि सैनिकों ने हमें पकड़ लिया है और मैंने अपनी M16 को फायर के लिए तुरंत तैयार किया किन तभी एस्कोबार बोले- कोलंबिया ने गोल दाग दिया।' यह 1994 वर्ल्ड कप क्वॉलिफायर्स की बात है। पाब्लो की बहन ने एक मशहूर डॉक्यूमेंट्री में कहा था,  'पाब्लो ने हमेशा फुटबॉल से प्यार किया, उसके पहले जूते फुटबॉल बूट्स थे और मरते वक्त भी उसने फुटबॉल बूट्स ही पहन रखे थे।'
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